रविवार, 3 जनवरी 2010

एक फूल

कार्यालय में नए अधिकारी कार्यभार ग्रहण कर चुके थे । पहली तारीख थी और वह भी नव वर्ष का अवसर । सारे कर्मचारी एक - एक करके उन्‍हें शुभकामनाएं देने पहुंच रहे थे । कोई गुलदस्ता लेकर , कोई कार्ड लेकर तो कोई खाली हाथ साहब के कमरे में घुसता और थोडी देर बाद मुस्कुराता हुआ चेहरा लेकर बाहर आ रहा था ।

सभी बाहर आकर यह बताने में व्यस्त थे कि साहब ने मुझे बैठने के लिए कहा , चाय के लिए पूछा और खड़े होकर हाथ भी मिलाया । अब केवल श्यामलाल जी और रमेश बचे थे ।

श्यामलाल जी मौका देखते ही अंदर पहुंचे । साहब को गुलदस्ता भेंट किया । साहब ने खड़े होकर उनसे हाथ मिलाया । चाय की पेशकश को श्यामलाल जी ठुकरा न पाए । बाहर आकर उन्होंने यह किस्सा हर्ष के साथ सबको बताया भी ।

रमेश को नौकरी पर लगे दो साल हो चुके थे । वह कार्यालय का एकमात्र चपरासी था । इसलिए उसे गप मारने का कम समय मिलता था। उसे अपने काम में व्यस्त रहना अच्छा लगता था । शाम हो चुकी थी । साहब घर लौटने की तैयारी कर रहे थे । सभी कर्मचारी कतार में हाथ जोड़े खड़े थे । साहब ने बाहर निकलते ही रमेश को देखा । वह भी हाथ जोड़े खड़ा था । साहब ने उसे विश किया , उससे स्वयं हाथ मिलाया। रमेश की आंखें नम हो गई । साहब के हाथ में एक फूल था। वे उसे रमेश की शर्ट में लगाते हुए लिफ्ट की ओर चल पड़े ।

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आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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12 टिप्‍पणियां:

  1. नए साल में किसी को खुश करना ही सबसे अच्छा तरीका है नए साल क आग़ाज़ का...

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  2. aise bosso ki sankhya din-b-din badhe!

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  3. शमीम जी अच्छी लघु कथा....
    ...... नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनायें.....!
    ईश्वर से कामना है कि यह वर्ष आपके सुख और समृद्धि को और ऊँचाई प्रदान करे.

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  4. ..... नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनायें.....!

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  5. अच्छी लघुकथा। काम करने वालों की हमेशा क़द्र होती है और उन्हें अपने अधिकारियों की चाटुकारिता करने की जटरूरत नहीं होती।

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  6. बहुत अच्छा बॉस मिल गया बन्दे को।

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  7. बहुत सुन्दर रचना । आभार
    ढेर सारी शुभकामनायें.

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