कार्यालय में नए अधिकारी कार्यभार ग्रहण कर चुके थे । पहली तारीख थी और वह भी नव वर्ष का अवसर । सारे कर्मचारी एक - एक करके उन्हें शुभकामनाएं देने पहुंच रहे थे । कोई गुलदस्ता लेकर , कोई कार्ड लेकर तो कोई खाली हाथ साहब के कमरे में घुसता और थोडी देर बाद मुस्कुराता हुआ चेहरा लेकर बाहर आ रहा था ।
सभी बाहर आकर यह बताने में व्यस्त थे कि साहब ने मुझे बैठने के लिए कहा , चाय के लिए पूछा और खड़े होकर हाथ भी मिलाया । अब केवल श्यामलाल जी और रमेश बचे थे ।
श्यामलाल जी मौका देखते ही अंदर पहुंचे । साहब को गुलदस्ता भेंट किया । साहब ने खड़े होकर उनसे हाथ मिलाया । चाय की पेशकश को श्यामलाल जी ठुकरा न पाए । बाहर आकर उन्होंने यह किस्सा हर्ष के साथ सबको बताया भी ।
रमेश को नौकरी पर लगे दो साल हो चुके थे । वह कार्यालय का एकमात्र चपरासी था । इसलिए उसे गप मारने का कम समय मिलता था। उसे अपने काम में व्यस्त रहना अच्छा लगता था । शाम हो चुकी थी । साहब घर लौटने की तैयारी कर रहे थे । सभी कर्मचारी कतार में हाथ जोड़े खड़े थे । साहब ने बाहर निकलते ही रमेश को देखा । वह भी हाथ जोड़े खड़ा था । साहब ने उसे विश किया , उससे स्वयं हाथ मिलाया। रमेश की आंखें नम हो गई । साहब के हाथ में एक फूल था। वे उसे रमेश की शर्ट में लगाते हुए लिफ्ट की ओर चल पड़े ।
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आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
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