
बहुत दिनों के बाद , एक चेहरा,
स्मृति के किसी कोने से निकलकर,
दिल के आसमां पर छाया,
जब भीड़ में एक चेहरा टकराया ।
देखकर उसका चेहरा वर्षों बाद….
आंखे हुई नम, खिल उठा रोम-रोम,
ओठों ने भी गीत हर्ष का गाया,
जब भीड़ में एक चेहरा टकराया ।
कदम बिन रुके आगे बढ़ चले ,
सोचने का वक्त न था,क्या है रिश्ता ?
पर, उसने भी तो पीछे देख, मुस्कुराया ,
जब भीड़ में एक चेहरा टकराया ।
२६ जनवरी २०१०
गणतंत्र दिवस की
शुभ कामनाएं
विजय विश्व तिरंगा प्यारा ,झंडा ऊँचा रहे हमारा
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभ कामनाए*
हूं!!
जवाब देंहटाएंकदम बिन रुके आगे बढ़ चले ,
सोचने का वक्त न था,क्या है रिश्ता ?
इस रिश्ते को समझना पड़ेगा या पड़्ताल करनी होगी?
आदरणीय मनोज जी ,मैं अपनी हंसी पर कंट्रल नहीं कर पा रहा हूं ।
जवाब देंहटाएंऐसी कोई बात नहीं ।
यह कविता मैंने लगभग तीन वर्ष पहले लिखा था एवं कोलकाता नराकास की पत्रिका में छप चुकी है। मैंने कुछ संशोधन के साथ इसे आज पुन प्रस्तुत किया है । हां ,विश्वविधालय में मेरी एक दीदी हुआ करती थी , उनसे मिले लंबा अरसा हो गया था । एक दिन उनके जैसी कोई मुझे दिखी थी । उसी घटना को अधार बनाकर मैंने यह कविता लिखा था ।
सादर
बहुत दिनों के बाद , एक चेहरा,
जवाब देंहटाएंस्मृति के किसी कोने से निकलकर,
दिल के आसमां पर छाया,
जब भीड़ में एक चेहरा टकराया ।
bahut achchhi lagi rachna ,vande matram .kya aap kolkata ke hai ?
acchi kavita.
जवाब देंहटाएंआपने ह्यूमन साइक्लोजी को कविता की शक्ल में पेश कर दिया है. इस कविता पर तो एक पूरा उपन्यास लिखा जा सकता है. इतने मामूली से टॉपिक, जिसे आम इन्सान कुछ घंटों में भूल भी जाता है, उसे ऐसा परिधान दे दिया आपने कि अब ऐसी घटनाओं पर यह कविता याद आजाएगी.
जवाब देंहटाएंकदम बिन रुके आगे बढ़ चले ,
जवाब देंहटाएंसोचने का वक्त न था,क्या है रिश्ता ?
पर, उसने भी तो पीछे देख, मुस्कुराया ,
yahi panktiyaaN hi to poori nazm
ke saar ko ujaagar karti haiN..
kaheeN kuchh chhipane ya bataane ki zaroorat
kahaaN mehsoos hoti hai..!!
Sarwat ji ki baat ka anumodan karta hooN
Aapka spashtikaran padha to baat samajh me aayee...!
जवाब देंहटाएंjaankar khushi hui kyonki wo mera hi shahar hai ,mere sabhi rishetaar yahi hai aur saalbhar aana jaana rahta hai ,kis area me ye bhi bataye to mehrbaani hogi .chehre ke saath pahchan bhi takrati hai aur sthan bhi .shukriya blog par aane ke liye .
जवाब देंहटाएंvery nice poem describing the situation when two separated hearts meet after a long time.
जवाब देंहटाएंAchi kavita.
जवाब देंहटाएंजीवन के हसीं पलों को याद दिलाती कविता.
जवाब देंहटाएंHoli mubarak ho!
जवाब देंहटाएंKya baat hai,aapne bahut dinon se kuchh likha nahi?
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