शनिवार, 19 दिसंबर 2009

रिश्ते कैसे - कैसे !



ट्रेन में दो व्यक्ति , जिनकी उम्र साठ के आसपास होगी आपस में काफी देर से बतिया रहे थे । बातों का सिलसिला एक ड्रा होने वाले टेस्ट मैच की तरह था जो समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा था । गंजे व्यक्ति ने कहा – “ मैंने सन् 72 में बी. ए. पास किया था । उस समय मैंने अंग्रेजी विषय में कॉलेज में सबसे ज्यादा अंक प्राप्त किया था । क्या ग्रामर था , मेरे पिताजी ने दो ट्यूटर रखे थे । उन्होंने मुझे बहुत अच्छे तरीके से गाइड किया । आज मैं एक आँफिसर हूं । पर आज के पाठ्यक्रम में कितना बदलाव आ चुका है ।” बगल में बैठे व्यक्ति ने कहा –“आप सही कह रहे हैं । आज शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव आ गया है , आज हमारे जमाने जैसे शिक्षक रहे नहीं । अच्छे - बुरे का भेद बताने वाला कोई रहा नहीं । मैंने भी सन् 73 में बी. एस.सी.पास किया था । मेरे पिताजी ने गणित में बहुत मदद की । चूंकि फर्स्ट क्लास अंक प्राप्त हुए थे इसलिए नौकरी भी जल्दी मिल गई । पर आज तो फर्स्ट क्लास आने पर ........... । ” गेम जारी था । लगा दोनों एक-दूसरे को लंबे अरसे से जानते हैं ।

अचानक एक बादामवाला उधर से गुजरा । गंजे व्यक्ति का ध्‍यान उस पर गया । उसने एक पैकेट बादाम खरीदा ,जिसकी कीमत मात्र दो रुपए थी । बातों का सिलसिला ऐसे समाप्त हुआ जैसे बीच में ही मैच रोकना पड़ा हो । वह मुसकुराया, दाएं एवं बाएं देखा और बादाम खाने में लीन हो गया । दूसरा व्यक्ति अब बाहर के दृश्‍य देखने में व्यस्त था ।

थोडी देर बाद वहां से एक भिखारी भीख मांगते हुए गुजरा। किसी ने उसकी और ध्यान नहीं दिया । गंजे व्यक्ति के पास बैठे व्यक्ति ने दो रूपए निकाले और उसको दिया । गंजा व्यक्ति बोला – “आजकल का ग्रामर जो कॉलेजों में .........।"
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13 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई एक अच्छा व्यंग्य । बधाई ।

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  2. AAp sabhi ka aabhar aur Dhanyawad. Yu hi protsahit karte rahe . AAsha hai ,Agli rachna kal prastut karunga.

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  3. bahut sahi...kuchh log sirf baaton ke raja hote hain ...!achcha vyangy hai...

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  4. Sukshm nirikshan me se aise aalekh rache jate hain!Sundar!

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